रांची. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावेडकर ने कहा कि डबल इंजन की सरकार का लाभ जनता को ज्यादा होता है। यही कारण है कि पश्चिम बंगाल में अब तक आयुष्मान भारत का लाभ जनता को नहीं मिला। जावेडकर यहां विधानसभा चुनाव की दृष्टि से भाजपा के मीडिया सेंटर का उद्घाटन करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि भाजपा झारखंड विजय के विश्वास के साथ विधानसभा के चुनाव मैदान में हैं। राज्य की जनता ने जो विश्वास व्यक्त किया है, उससे हम 65 पार का लक्ष्य हासिल करेंगे। राज्य का विकास कैसे हो सकता है, झारखंड की जनता ने रघुवर सरकार में देखा है। उन्होंने दावा किया कि यहां लड़ाई काम करनेवाली सरकार और लूट करनेवाली सरकार में है। एक साफ-सुथरी सरकार और घोटालों की सरकार में है। उन्होंने दावा किया कि पांच साल में सरकार की छवि ऐसी रही कि किसी ने घोटाले का आरोप नहीं लगाया।
घोटाले की सरकार बनाम साफ सुथरी सरकार से जुड़े इस सवाल पर कि भाजपा ने स्वास्थ्य घोटाले के आरोपी भानू प्रताप शाही को टिकट कैसे दे दिया? उन्होंने यह कह कर सवाल टाल दिया कि पांच साल में सरकार पर किसी घोटाले का आरोप नहीं लगा। जीरो टोलेरेंस की बात करनेवाली भाजपा ने हत्या के आरोपी शशिभूषण मेहता को पांकी से कैसे टिकट दे दिया। इसका भी उन्होंने स्पष्ट जवाब नहीं दिया। सरयू राय के निर्दलीय चुनाव लड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सोमवार को नामांकन का अंतिम दिन है। फिर नाम वापसी की तिथि में समय है। जब यह पूछा गया कि सरयू राय से भाजपा की बातचीत जारी है तो उन्होंने फिर यह कह कर जवाब ही नहीं दिया कि वह भी एक मैच्योर प्रवक्ता रहे हैं। जब यह पूछा गया कि सरयू राय ने कहा है कि रघुवर सरकार में लालू प्रसाद से ज्यादा घोटाले हुए हैं। उसे वह उजागर करेंगे। इस पर भी जावेडकर ने कहा-नो कोमेंट। अल्पसंख्यकों को टिकट नहीं दिये जाने पर कहा कि पार्टी मजहब के नाम पर निर्णय नहीं करती है। हालांकि अभी टिकट वितरण समाप्त नहीं हुआ है।
गिनायी उपलब्धियां
प्रकाश जावेडकर ने रघुवर सरकार द्वारा एक रुपए में महिलाओं को जमीन की रजिस्ट्री, 30 लाख महिलाओं को सेल्फ हेल्प ग्रुप के माध्यम से रोजगार, 57 लाख परिवारों को आयुष्मान भारत योजना का लाभ सहित अन्य उपलब्धियों की चर्चा की। यह भी बताया कि पूर्व से बन कर तैयार कुटको बांध (मंडल) डैम के चालू होने संबंधी बाधाओं को उन्होंने दूर कर दिया है। इससे गढ़वा-पलामू में पानी का जलस्तर बढ़ेगा। सिंचाई क्षमता विकसित होगी। इतना ही नहीं अधिकारियों द्वारा तैयार वन अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव वापस ले लिया गया है। इससे आदिवासियों के अधिकारों पर कोई आंच नहीं आएगी।